भगवान विष्णु किन सर्पको ओछ्यानमा सुत्छन् ? शास्त्रमा यस्तो छ

धार्मिक ग्रन्थ अनुसार भनौं या कुनै चित्रमा हेरौ, टेलिभिजनमा हेरौ भगवान विष्णु विभिन्न अवतारमा देखिन्छ ।

कुनैमा उनी गरुडमा सवारी भएको देखिन्छ, कुनैमा शंख, चक्र, गदा, पद्मा साथ देखिन्छ । कति चित्रमा चाहि उनी सर्पको ओछ्यानमा आरमले सुतेको देखिन्छ ।

हिन्दु धर्मले यो विशाल सर्पलाई शेषनाग भनेको छ । यस चित्रणको खास महत्व छ ।

भगवान विष्णुले केहि अवतार लिएका छन् । उनलाई पापको सागरबाट दुनियाँलाई मुक्त गर्ने प्रतिकको रुपमा मानिन्छ । भगवान विष्णुको वाहन त गरुड हो । तर, शेषनाग पनि उनको प्रत्येक अवतारमा जोडिएको छ।***** यो समाचार को पुरा भिडियो हेर्न यहाँ तल क्लिक गर्नुहोला *****

पुराणों में त्रिमूर्ति विष्णु को विश्व या जगत का पालनहार कहा गया है। त्रिमूर्ति के अन्य दो रूप ब्रह्मा और शिव को माना जाता है। ब्रह्मा जी को जहाँ विश्व का सृजन करने वाला माना जाता है, वहीं शिव जी को संहारक माना गया है। मूलतः विष्णु और शिव तथा ब्रह्मा भी एक ही हैं यह मान्यता भी बहुशः स्वीकृत रही है।

शिव पुराण के अनुसार एक बार जब भगवान शिव अपने टखने पर अमृत मल रहे थे तब उससे भगवान विष्णु पैदा हुए जबकि विष्णु पुराण के अनुसार ब्रह्मा भगवान विष्णु की नाभि कमल से पैदा हुए जबकि शिव भगवान विष्णु के माथे के तेज से उत्पन्न हुए बताए गए हैं.

भगवान शिव के भक्तों की दृष्टि में वे स्वयंभू हैं, वहीं वैष्णवों की दृष्टि में भगवान विष्णु स्वयंभू हैं। इस कहानी में भगवान विष्णु को शिव से अधिक महान दर्शाया गया है। यहाँ शिव सांसारिकता से दूर होने के कारण स्वयं की रक्षा करने में असमर्थ रहे।

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